"गंजपारा में बिना अनुमति मकान गिराने का काम, बड़ा हादसा टला"

दुर्ग/दुर्ग नगर पालिक निगम क्षेत्र के गंजपारा इलाके में शनिवार को एक लापरवाही बड़ी दुर्घटना में हादसा टलते-टलते बचा।बता दे कि ये हादसा वार्ड क्रमांक 36 पार्षद प्रतिभा सुरेश गुप्ता के निवास के आगे की है।सूचना मिलते ही महापौर अलका बाघमार ने एमआईसी सदस्य देवनारायण चंद्राकर, ज्ञानेश्वर ताम्रकर, नीलेश अग्रवाल,रंजीता पाटिल,सावित्री दमाहे, प्रतिभा सुरेश गुप्ता,कार्यपालन अभियन्ता दिनेश नेताम,भवन अधिकारी गिरीश दिवान के साथ दुर्घटना स्थल का जायजा लिया।
बता दे कि यहां करीब चार मंजिला एक जर्जर भवन की दीवार तोड़ने के दौरान ढहकर पूरी गली में जा गिरी। गनीमत रही कि हादसे में किसी की जान नहीं गई, लेकिन सामने की इमारत की दुकान पर मलबा गिरने से नुकसान हुआ और आसपास के क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई।
मकान संबंधी जानकारी के अनुसार, वर्ष 2023 में भवन मालिक ने नगर निगम से पुराने भवन को तोड़ने की अनुमति प्राप्त की थी। मगर उस समय इसे ध्वस्त नहीं किया गया। बाद में भवन को बेच दिया गया और अगस्त 2025 से नए मकान मालिक द्वारा तोड़फोड़ का कार्य शुरू किया गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ठेकेदार ने बिना उचित सुरक्षा और तकनीकी प्रबंधों के कार्य को प्रारंभ कर दिया, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ।
महापौर अलका बाघमार ने कड़ी
नाराजगी जताते हुए कहा कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार चाहे भवन मालिक हो या फिर ठेकेदार, सभी पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि शहर में इस तरह की लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही उन्होंने थाना निरीक्षक को निर्देश दिया कि मामले में कठोरतम कानूनी कदम उठाए जाएं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, वर्तमान मकान मालिक और ठेकेदार द्वारा भवन तोड़ने की अनुमति की सूचना निगम प्रशासन को समय पर नहीं दी गई थी। इस पर निगम प्रशासन भी गंभीरता से कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
गंजपारा की यह घटना प्रशासन और आम नागरिकों दोनों के लिए चेतावनी है कि शहर के भीतरी इलाकों में जर्जर भवन किसी भी बड़ी दुर्घटना को न्योता दे सकते हैं। महापौर ने कहा है कि नियमों का उल्लंघन कर ढहाए जाने वाले भवनों और लापरवाह ठेकेदारों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
नगर पालिक निगम क्षेत्र अंतर्गत सरला देवी गवलदास जी मोहता एवं की संपत्ति को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया है। वर्ष 2026 में निगम की ओर से उक्त संपत्ति पर अवैध निर्माण को तोड़ने संबंधी नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उस समय किसी कारणवश कार्रवाई नहीं हो सकी। इसके बाद वर्ष 2024 में उक्त संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया गया।
अब, पिछले एक माह से यहां पर अचानक तोड़फोड़ का कार्य शुरू कर दिया गया। हैरानी की बात यह है कि न तो नगर निगम को इसकी सूचना दी गई और न ही थाने में इसकी जानकारी दी गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना किसी आधिकारिक अनुमति या निगरानी के यह कार्यवाही पूरी तरह से अनियमित और खतरनाक है।
भारी मशीनों से चल रहा था कार्य
स्थल पर तोड़फोड़ के लिए बड़े-बड़े पोकलेन और अन्य भारी मशीनों का उपयोग किया जा रहा था। मौके की स्थिति देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यदि इस दौरान कोई व्यक्ति इधर-उधर से गुजर जाता तो बड़ी जनहानि हो सकती थी। आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि इस तरह का काम बिना सुरक्षा इंतज़ाम और बिना सूचना के करना गंभीर लापरवाही है।
टीआई को दी गई सूचना
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि उन्होंने इस घटना की जानकारी तत्काल टीआई को फोन लगाकर दी ताकि समय रहते पुलिस हस्तक्षेप कर सके और किसी तरह की दुर्घटना न हो। लोगों ने सवाल उठाया है कि जब निगम का आदेश पहले ही लंबित था तो अचानक ठेकेदार द्वारा इस तरह का कार्य शुरू करना किस आधार पर उचित ठहराया जा सकता है।
ठेकेदार की लापरवाही पर सवाल
नागरिकों का कहना है कि हर ठेकेदार को इतना ज्ञान और समझ होनी चाहिए कि किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ कार्यवाही से पहले नगर निगम और पुलिस प्रशासन को सूचित करना ज़रूरी है। ऐसा न करने से न केवल जनहानि का खतरा बढ़ता है बल्कि कानून की भी अनदेखी होती है।लोगों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की अपेक्षा जताई है।